JEE AAIAAN NOOO...

...ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਫੁਲਵਾੜੀ ....

Thursday, 11 August 2011

हर तरफ से आ रही कैसी सदा

हर तरफ से आ रही कैसी सदा
चल पड़ी है देखिये कैसी हवा
घुल रही है जिंदगी पलपल मेरी
वो बरस ;बरसों बरस बरसा किया .
धुंधलके में शाम के देखा था कल ;
पल सुनहरा था कोई लटका हुआ .
उस ने काटा सर तो हमने उफ़ न की ;
हम जरा सा छू गए बलवा हुआ .

  आपने पहना जो रेशम हो गया  ;
मुझको समझा टाट का टुकड़ा है क्या
वो फसाना तेरी उल्फत का हसीन
जैसे कतरा     तार पर लटका हुआ .
फासले का फैसला है आपका ;
   दीप से  पर आपने शिकवा
किया
दीपज़ीर्वी

No comments: