JEE AAIAAN NOOO...

...ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਫੁਲਵਾੜੀ ....

Wednesday, 12 December 2012

کٹات QTA.AT


फूल पे मंडराती देखी तितलियाँ 
तितलियों की खूब देखी शोखीयां
था लगाया फूल बालों में तेरे 
आज तक भी महकती हैं उँगलियाँ
 
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
सपने में सजता है आलम ..क्या कहने 
आती है सजनी मन भवन ..क्या कहने 
साथ में रहते सजनी बालम सपने में ;
मिलते हैं सजनी में बालम सपने में 
-०-०-०-०-०-०-०-
 

-०-०-०-०-०-०-०-0
आप आ जाते हैं अक्सर ख्वाब  में 
हो गया है इश्क ख़्वाबों से हमें 
उम्र गुजरी ढूंढते हैं आज भी 
ख्वाब सा आगोश में देखें सनम 
-०-०-०-०-०--०-
एक दिन वो आये थे .....पर ख्वाब में 
तन से तन लिपटाए थे .. ... पर ख्वाब में 
आज तक सिहरे है मेरा तन बदन 
लब से लब टकराए थे ...पर ख़्वाब में 
-०-०-०-०-०-०-
रंग-ए-हिना  वाह क्या कहना 
बू-ए-हिना ..वाह क्या कहना 
खुद पिस के ये   औरों का सिंगार करे 
तासीर-ए-हिना ..वाह क्या कहने 
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
रुखसार ,गुलों से नाज़ुक हैं ;
गुलनार लबों का क्या कहना 

मय-फिशां तुम्हारी आँखें हैं 
मय-कश  न कोई कैसे बने 
-०-०--०-०-०--
दीप जीरवी 
9815524600


 



 

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