तेरी आँखों की मस्ती नें मय मीना छलकाई है ;
इन में डूबने वाले को जी ,होश कहाँ फिर आई है .
फूलों की बातें करते हैं ,कलियों के किस्से कहते है ;
गुल्चीनों को कौन है कहता ज़ालिम है हरजाई है
नील गगन से हाथ मिलाए आशिक है सौदाई है
आँखें जब बरबस बस बरसें याद लगे अब आई है .
ख़ामोशी जब चिल्लाती है सीने के पर्दे फटते है ;
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है.
सरिता कूल को चाहे ,चाहे कूल गले मिलना सरिता :
सरिता ने कल कल कल कल की ,लेकिन रटन लगाई है
दीप जीरवी
9815524600
http://chitravli.blogspot.com/
http://www.facebook.com/deep.zirvi.5
इन में डूबने वाले को जी ,होश कहाँ फिर आई है .
फूलों की बातें करते हैं ,कलियों के किस्से कहते है ;
गुल्चीनों को कौन है कहता ज़ालिम है हरजाई है
नील गगन से हाथ मिलाए आशिक है सौदाई है
आँखें जब बरबस बस बरसें याद लगे अब आई है .
ख़ामोशी जब चिल्लाती है सीने के पर्दे फटते है ;
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है.
सरिता कूल को चाहे ,चाहे कूल गले मिलना सरिता :
सरिता ने कल कल कल कल की ,लेकिन रटन लगाई है
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