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.... और भोर भी लाली लगी मलने ,तो गज़ल हुई. |
वो आए जब मुझ से मिलने ,तो गज़ल हुई;
मचले अरमां महके सपने ,तो गज़ल हुई.
'मखमल' रेशम से ख्वाब सुहाने सच हों जब ;
जब सूरत परी लगे सजने ;तो गज़ल हुई.
वो दिल के तार को छू ,गुज़रे आहिस्ता से ;
सरगम सांसों में लगी बजने ;तो गज़ल हुई.
वो तारा पिछले पहर का भी जब विदा हुआ ;
आगोश से उठ वो लगे चलने ,तो गज़ल हुई.
जब दीवट पर रात से जलता दीप 'बढ़ा ';
और भोर भी लाली लगी मलने ,तो गज़ल हुई.
deepzirvi
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