JEE AAIAAN NOOO...

...ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਫੁਲਵਾੜੀ ....

Saturday, 12 September 2009

खो गया है आदमी

आदमी को ढूढने में खो गया है आदमी .
आँख है खुली मगर सो गया है आदमी
खुद जला है रातदिन खुद मिटा है रातदिन ;
और खुद की खोज में ,लो गया है आदमी .
घर बना सका नही वो तमाम उम्र में ;
रात दिन बेशक कमाई को गया है आदमी.
एक दिल की दास्ताँ ये दास्ताँ नही सुनो;
दिल्लगी से दिल लगाई हो गया है आदमी.
दीप हर डगर जले ,हर नगर ख़ुशी पले;
बीज हसीन ख्वाब से बो रहा है आदमी
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खिलौना अपने दिल का हम तुम्हे फौरन दिला देते;
तुम्हे एस की जरूरत है;अगर तुम ये बता देते .
कभी इस से कहा तुम ने कभी उस से कहा तुम ने ;
मुझे अपना समझ क्र तुम कभी दिल की सुना देते .
deepzirvi@yahoo.co.in

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