JEE AAIAAN NOOO...

...ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਫੁਲਵਾੜੀ ....

Saturday, 16 May 2009

hum boleygato bologay ki bolta hai...

नमस्कार मित्रो ,

कुछ अनौपचारक बात चीत हो जाए , काफ़ी दिनों बल्कि महीनो से सर्वर खराब सा था हिन्दी भूल गया था , अब ठीक हुआ है हिन्दी जानकार हुआ है अब आनद आए गा । मेरी बात सुनो गे समय है आप के पास ? आपको तो अन्यंत्र जन होगा, कई काम करने होंगे , कई व्यापार आरम्भ कर रखे होंगे आपने इस महंगाई के जमाने में । आप उन को समय दो यहा अपना समय नष्ट क्यो कर रहे हो ।

बडी हठी प्रकृतीहै आपकी , आप तो बात पढ़ के ही डांटोगे

बंधुवर , बात ये है की ये देश किसका है? किसी की बपौती है क्या ? न एक बात जो ये खबरों वाले व्यापारी ढोल पीट पीट कर गा बजा रहे हैं मुझ को हजम नही हो पा रही , वो ये की देश ने एन आम चुनावों में फ़िर से गांन्धी परिवार को देश की बाग़ डोर सौंपी है । ये गाँधी का देश है इत्यादी ।

मेरा प्रश्नचिंह ये है इक ये देश क्या मात्र गाँधी नाम लेवओं का है ?

मूल मुद्दा व्ही है । लोकतनत्र की आड़ में राजशाही नही तो और क्या है ये ? आम जन से सरोकार नही ,पेराशूट से नेता उतारे जा रहे हैं , इस में हम कहा हैं? ये देश हमारा भी तो है , है न?

राजीव जी कहते थे दिल्ली से भिजवाया एक रुपया जनता तक्क आते आते १८ पैसा रह जाता है, रहोल जी बताते हैं अब १० पैसे रह जाता है । हम जनता करे तो क्या करे ।

अम्बानी की दौलत दोगुनी हो अथवा चोगुनी हमे उससे क्या ? लकडहारा तो लकडी ही काटे गा ,

मूंडने वाला उस्तरा लोहे का है की सोने का इस का मुंड जाने के लिए पैदा होने वाली हम सी भेड़ों को कोई फर्क नही पडेगा।

कसे को कसता ये बजार का मायाजाल , करे जो जनता को कंगाल, छीने आटा दाल। kaho kya hai aapka khyaal ... hum boleygato bologay ki bolta hai...

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