JEE AAIAAN NOOO...

...ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਫੁਲਵਾੜੀ ....

Thursday, 23 July 2009

शाख से टूटकर कहाँ आया ,


शाख से टूटकर कहाँ आया ,
बस हवा ले चली जहां चाहा
हम ने देखी हैं वो बहारें भी ,
शफकथों  का था जब घना साया ,
बाग़बान था तो थी बहारें भी ,
अब है गुलशन पे मौत का साया .
पीले पत्तों का कोई दर्द सुने ,
दर्द हद से है अब तो बढ़ आया .
बाग़बान ही कली मसलने लगे ,
दिल बहारों का देखो bhar आया

No comments: